अंधभक्ति
फिर वही मासूमियत रुख पर नज़र आने लगी
लीडरों को आम जनता की फिकर खाने लगी
ज़िक्र फिर होने लगा लोगों के दुख और दर्द का
कागज़ी कुछ घोषणायें, दिल को बहलाने लगी
फिर धर्म और जात का एहसास लोगों को हुआ
कुछ दबी चिंगारियां माहौल गरमाने लगी
कैसी नीति,, कैसे वादे , अब रहा ना याद कुछ
राज सत्ता की चमक आँखों को हर्षाने लगी
फिर वही नादानियाँ क्या सोचना क्या देखना
अंधभक्ति हर किसी पर रंग दिखलाने लगी
Sunil_Telang/02/04/2014
No comments:
Post a Comment