Wednesday, April 2, 2014

ANDH BHAKTI


अंधभक्ति

फिर वही मासूमियत रुख पर नज़र आने लगी 
लीडरों  को  आम जनता की फिकर खाने लगी 

ज़िक्र फिर होने लगा लोगों के दुख और दर्द का
कागज़ी कुछ घोषणायें, दिल को बहलाने लगी 

फिर धर्म और जात का एहसास लोगों को हुआ 
कुछ   दबी  चिंगारियां   माहौल  गरमाने  लगी 

कैसी नीति,, कैसे वादे , अब रहा ना  याद कुछ 
राज सत्ता  की  चमक  आँखों   को  हर्षाने  लगी

फिर वही नादानियाँ क्या  सोचना क्या देखना 
अंधभक्ति हर  किसी  पर  रंग   दिखलाने  लगी 

Sunil_Telang/02/04/2014





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