लहर
वतन अपना है फिर भी क्यों पराये लोग लगते हैं
यहाँ दिल पर हज़ारों चोट खाये लोग लगते हैं
फ़क़त वादों से और बातों से दिल बहला न पाओगे
यहाँ सब हुक्मरानों के सताये लोग लगते हैं
कहाँ से आ गये जो आईना दिखला रहे सबको
भरी महफ़िल में ये सब बिन बुलाये लोग लगते हैं
जुनूं तारी हुआ ऐसा, लिये हैं जां हथेली पर
अलग मिटटी से फुर्सत में बनाये लोग लगते हैं
रुके ना काफिला तेरा , मिलेगी एक दिन मंज़िल
लहर बदलाव की दिल में समाये लोग लगते हैं
Sunil_Telang/07/04/2014
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