Monday, April 7, 2014

LAHAR


लहर 

वतन अपना है फिर भी  क्यों  पराये लोग  लगते हैं 
यहाँ   दिल  पर  हज़ारों  चोट  खाये  लोग  लगते  हैं 

फ़क़त वादों  से  और बातों से दिल बहला न पाओगे 
यहाँ   सब  हुक्मरानों   के  सताये   लोग   लगते  हैं 

कहाँ  से आ  गये  जो  आईना  दिखला  रहे  सबको 
भरी  महफ़िल में ये सब बिन बुलाये लोग लगते हैं 

जुनूं   तारी   हुआ  ऐसा,  लिये   हैं  जां  हथेली   पर 
अलग  मिटटी  से फुर्सत में बनाये  लोग  लगते  हैं 

रुके  ना काफिला तेरा , मिलेगी  एक  दिन  मंज़िल 
लहर  बदलाव  की  दिल  में  समाये  लोग लगते हैं 

Sunil_Telang/07/04/2014


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