रहनुमा
ज़रा आँखों से पर्दों को हटा कर देखिये
हकीकत और है , नज़रें जमाकर देखिये
नई रंगत नज़र आती है, चेहरे हैं वही
तकाज़ा है कि पहले आज़मा कर देखिये
समझ ना पाये जो ये भूख, लाचारी है क्या
सड़क पे एक दिन उनको बिठा कर देखिये
जो दलबदलू हुये सत्ता को पाने के लिये
उन्हें इक बार आईना दिखाकर देखिये
नहीं मुश्किल है कोई राह, मंज़िल आयेगी
यकीं को रहनुमा अपना बना कर देखिये
Sunil_Telang/10/04/2014
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