Sunday, March 30, 2014

ZARA PEHCHAAN



ज़रा  पहचान 

कहो  ना  बात  तुम  सच्ची  कहेंगे  लोग  दीवाना 
यहाँ लोगों  ने पैसे को ही बस अपना  खुदा माना 

परेशानी में  हैं  दिन रात  फिर भी जी रहे हैं लोग 

अभी सीखा नहीं  बदलाव की हिम्मत जुटा पाना 

हमेशा दोष किस्मत को  दिये जाने से क्या होगा  

नहीं मिलता किसी को घर में बैठे  आब ओ दाना 

करोगे कब तलक फ़रियाद यूँ ही गिड़गिड़ाते तुम 
ग़ुलामी से तो  अच्छा  है कटा के सर चले  जाना 

ज़रा  पहचान ले खुद  को  नहीं  तेरा  कोई  सानी 
तेरे  हाथों  में  कायम  है तेरी दुनिया संवर जाना 

Sunil_Telang/30/03/2014




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