Monday, April 14, 2014

KISMAT



किस्मत 

छोड़  कर  मैदान  कोई  चल  दिया 
सोचकर  मुश्किल  बहुत  हालात है 
वो  कदम  पीछे  कभी  करता  नहीं  
अपने  अपने   हौसले   की  बात  है 

घिर   गया  हर  आदमी  जंजाल में 

मान  बैठा, कुछ न अब  हो पायेगा
बैठकर    गुपचुप   तमाशा   देखना  
बस   यही   उसकी  रही  औकात है  

अब  कहाँ  गायब  हुआ वो बांकपन 
देख  कर  अन्याय  होती थी चुभन 
भूल   बैठा    ज़ुल्म  अत्याचार  को 
डर   का  साया  आज  तेरे  साथ  है 

लोग  कुछ आये  निकल कर सामने 
तेरी   खातिर, जां  हथेली  पर लिये 
तुमको  ये लगतीं हैं बस नादानियां 
तुझ पे  हावी बस धरम और जात है 

पूछ  अपने   आप   से  इक   बार  तू 
क्या किया अब तक वतन के वास्ते 
ज़िन्दगी  को   कायराना  मत बना 
तेरी   किस्मत  आज   तेरे   हाथ  है 

Sunil_Telang/14/04/2014









No comments:

Post a Comment