Wednesday, April 23, 2014

DEEPAK



दीपक 

उजालों  के  लिये  रस्ता  बनाओ
अँधेरे   दूर    हों   दीपक  जलाओ  

गिले  शिकवे तो तेरे कम न होंगे 
ज़रा खुद को भी आईना दिखाओ 

मिटा ना दे कहीं अपनी वो हस्ती 
किसी  के सब्र  को ना आज़माओ

तमाशा   देखते   ये   उम्र   गुज़री 
कभी तो हौसला अपना दिखाओ 

मिलेगी  ज़िन्दगी  ना  ये  दुबारा 
वतन  के वास्ते कुछ काम आओ  

Sunil_Telang/23/04/2014












No comments:

Post a Comment