DEEPAK
दीपक
उजालों के लिये रस्ता बनाओ
अँधेरे दूर हों दीपक जलाओ
गिले शिकवे तो तेरे कम न होंगे
ज़रा खुद को भी आईना दिखाओ
मिटा ना दे कहीं अपनी वो हस्ती
किसी के सब्र को ना आज़माओ
तमाशा देखते ये उम्र गुज़री
कभी तो हौसला अपना दिखाओ
मिलेगी ज़िन्दगी ना ये दुबारा
वतन के वास्ते कुछ काम आओ
Sunil_Telang/23/04/2014
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