Friday, April 25, 2014

JANMAT


जनमत 

वोट  कुछ  हिन्दू मुसलमां हो गये 
जो  बचे  वो  लोग  इन्सां  हो  गये 

सरफिरे  लोगों  ने  बांटा  दो  जहां 
लोग अपने घर  में   मेहमां हो गये 

चंद  सिक्कों मे  बिकी इंसानियत 
वो   गरीबों   पर  मेहरबां  हो  गये 

हाल   अपना  पूछने  आये   हैं   वो  
जाने  कितने  हमपे एहसां हो गये

कैसा जनमत,डर का साया चारसू 
लोग  चुन चुन   के परेशां  हो  गये  

Sunil_Telang/25/04/2014


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