मातम
सिर्फ दो दिन का है मातम फिर किसी को ग़म नहीं
हादसों को रोकने में तंत्र ये सक्षम नहीं
वक़्त सबका कीमती है फ़िक्र किसको जान की
कुछ ग़लत हो जाये तो समझें नियति भगवान की
हैं नियम क़ानून , पर रहता कोई कायम नहीं
लूट भ्रष्टाचार के दम पर टिका है ये जहां
जेब तेरी हो भरी तो कुछ नहीं मुश्किल यहां
झूठ को सच में बदलवाने में कोई कम नहीं
दोष किसको दे रहे हैं तंत्र ये हमसे बना
जो फसल बोई है हमने बस वही है काटना
ज़ख्म सबके पास हैं देता कोई मरहम नहीं
Sunil_Telang/04/06/2014
No comments:
Post a Comment