Wednesday, June 4, 2014

MAATAM


मातम 

सिर्फ दो दिन का है मातम फिर किसी को ग़म नहीं 
हादसों    को     रोकने    में   तंत्र    ये    सक्षम   नहीं 

वक़्त  सबका  कीमती  है  फ़िक्र  किसको  जान  की 
कुछ  ग़लत हो जाये तो  समझें नियति भगवान की 
हैं   नियम  क़ानून ,  पर   रहता   कोई  कायम  नहीं 

लूट   भ्रष्टाचार   के   दम    पर    टिका    है  ये   जहां 
जेब   तेरी   हो   भरी  तो   कुछ   नहीं  मुश्किल  यहां 
झूठ   को   सच  में   बदलवाने   में  कोई   कम  नहीं 

दोष   किसको   दे   रहे   हैं   तंत्र    ये    हमसे    बना 
जो   फसल   बोई   है   हमने   बस   वही   है  काटना 
ज़ख्म   सबके   पास   हैं   देता   कोई   मरहम   नहीं 

Sunil_Telang/04/06/2014




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