फ़रियाद
ज़िक्र मत ईमानदारी का करो
हैं ये बातें सिर्फ कहने के लिये
ताज तुमको दे दिया खुशियां मनाओ
हम यहां हैं दर्द सहने के लिये
नाम हो तेरा ज़मीं से आसमां तक
और क्या दें हम दुआओं के सिवा
हम तो जीते लब पे बस फ़रियाद लेके
अश्क़ आँखों में हैं बहने के लिये
हो रही है शर्मसार इन्सानियत
नारियों की लाज़ लुटती देखकर
मां, बहन, बेटी से है अस्तित्व तेरा
रह गया क्या और कहने के लिये
ये धरम, ये जात, ये नफरत की बातें
दे सकेंगी कब तलक दिल को सुकूं
हमको बस इतनी फिकर, दो वक्त रोटी
और घर मिल जाये रहने के लिये
Sunil_Telang/06/06/2014
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