HAADSE
हादसे
हादसे पर हादसे होते रहे
हम समझ कर इक खबर सोते रहे
बहशियाना हरकतें बढ़ने लगीं
लोग आपा दिन ब दिन खोते रहे
ज़ख्म सहलाने की फुरसत ना मिली
नफरतों के बीज हम बोते रहे
किसको डर है देश के क़ानून का
न्याय के रक्षक बने तोते रहे
सुर्ख़ियां बन कर खबर चलती रही
खून के आंसू ज़ख़म रोते रहे
Sunil_Telang/13/06/2014
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