Sunday, June 15, 2014

YAAD TUM AAYE



याद तुम आये 

कभी जब  साथ  रहते  थे तो  कोई आशियां  ना था 
चिलकती धूप थी, सर्दी में छत का भी निशां ना था 
कभी  दो  वक़्त  की रोटी  मिली , भूखे  कभी  सोये 
मगर  माँ  बाप  जैसा   और  कोई   मेहरबां  ना  था 

समझ पाये ना उनकी बात , थोड़ी  सी  थी नादानी 

वो मीठी सी झिड़क उनकी कभी मानी नहीं  मानी 
वो रोकर रूठ कर हर चीज़ को पाने की ज़िद करना 
गुज़ारा  कैसे   होता   है  कभी  इसका  गुमां  ना था 

कभी  हँसते, कभी लड़ते  झगड़ते हम हुये  काबिल 

खुशी  को  देख कर अपनी  दुआयें  दे  रहा  था दिल 
गुज़रते वक़्त में हमने बहुत कुछ कर लिया हासिल 
मगर अफ़सोस अच्छे वक़्त में उनका निशां  ना था 

जवानी  खो    गई   आया   बुढ़ापा  याद  तुम  आये 

कभी बच्चों ने खोया जब  भी आपा याद तुम आये 
हज़ारों  लोग   मिलते  हैं  मगर   वैसा   नहीं   कोई 
जहां  में   उनके  जैसा   और   कोई   दूसरा  ना   था 

Sunil_Telang



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