Monday, June 9, 2014

LAHAR



किसी  के  लिये ये  महज़ इक खबर  है 
किसी  के  दिलों  पर   ये  टूटा  कहर  है 
जो निकले हो घर से तो रहना सलामत  
यहां   हर   शहर   हादसों   का  शहर  है 

LAHAR

ज़िन्दगी  ग़म  की कहानी   हो  गई 
काल कलवित फिर जवानी  हो गई 

क्या कहर ढाती  हुई  आई  लहर वो

हर ख़ुशी दो पल  में  फानी  हो  गई 

ये खता थी, हादसा था या  कोताही 

जाने   किसकी  मेहरबानी   हो  गई 

ये दुःखद है , हादसे  की जांच होगी 

फिर  से  सरकारी  बयानी  हो   गई 

क्या महज़ इंसान की अब ज़िन्दगी 

चंद   सिक्कों  की  निशानी  हो गई 

कातिलों  पर   कब   करोगे   फैसले

जिनसे  ये   बस्ती  वीरानी  हो  गई 

Sunil_Telang/09/06/2014










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