किसी के लिये ये महज़ इक खबर है
किसी के दिलों पर ये टूटा कहर है
जो निकले हो घर से तो रहना सलामत
यहां हर शहर हादसों का शहर है
ज़िन्दगी ग़म की कहानी हो गई
काल कलवित फिर जवानी हो गई
क्या कहर ढाती हुई आई लहर वो
हर ख़ुशी दो पल में फानी हो गई
ये खता थी, हादसा था या कोताही
जाने किसकी मेहरबानी हो गई
ये दुःखद है , हादसे की जांच होगी
फिर से सरकारी बयानी हो गई
क्या महज़ इंसान की अब ज़िन्दगी
चंद सिक्कों की निशानी हो गई
कातिलों पर कब करोगे फैसले
जिनसे ये बस्ती वीरानी हो गई
Sunil_Telang/09/06/2014
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