ख़ुशी
है ख़ुशी की चाह तो अपने ग़मों से प्यार कर
ज़िन्दगी हँस के जियो बैठो न मन को मार कर
कौन है जिसका कभी दुःख से हुआ ना सामना
बैठता कोई नहीं इन्सान हिम्मत हार कर
हर किसी की अहमियत है सबकी अपनी खूबियां
तू किसी से कम नहीं है बात ये स्वीकार कर
मंज़िलें उनको मिलीं जिसने चुनी अपनी डगर
रोज़ मिलता हो सबक तो ग़लतियाँ सौ बार कर
वो कभी इन्सां थे जो हिन्दू मुसलमां हो गये
तू मोहब्बत प्यार से सारा चमन गुलज़ार कर
Sunil_Telang/06/06/2014
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