अरे लानत है
अरे लानत है तुम सब पर शिकायत रोज़ करते हो
मगर जिनसे परेशां हो उन्ही का दम्भ भरते हो
यही हैं जो नहीं सुनते तेरे दुःख दर्द के नाले
तेरी माँ बेटियों की लाज लुटते देखने वाले
तेरा हक़ छीनकर तेरी कमाई लूटने वाले
जला कर आग नफरत की तेरा घर फूंकने वाले
भुला कर ज़ख्म अपने किस लिये फिर धीर धरते हो
बड़े मासूम बन कर फिर तेरे दर पर वो आयेंगे
सभी प्रतिद्वन्दियों की खामियां तुझको गिनायेंगे
मगर उपलब्धियां अपनी नहीं कोई बतायेंगे
कभी वो लोभ लालच दे के भी तुझको मनायेंगे
खुशी दो पल की ले कर क्यों उमर भर रंज करते हो
सबक इनको सिखा दो फिर मिला है आज इक मौका
तुझे बातों में बहला के ना दे पाये कोई धोका
लुटेरा ना बने कोई तेरे अनमोल सपनों का
तेरे हाथों में है दम राज हो अब तेरे अपनों का
परख कर वोट दो किस बात से दिन रात डरते हो
Sunil _Telang /03/04/2014