होली है
ज़िन्दगी बेरंग है तो रंग भरिये
सिर्फ घर में बैठ कर सोचा न करिये
आयेंगे सुख दुःख तेरे हाथों में क्या है
जो मिले अपनाइये, ना रंज करिये
सात रंगों से सजा त्यौहार आया
कुछ सुनहरे ख्वाब फिर आँखों में भरिये
भूल कर शिकवे गिले खुशियां मना लें
आज तो अवसाद से बाहर उबरिये
मिट न जाये संस्कृति जो है हमारी
स्वागतम इस पर्व का हर बार करिये
Sunil_Telang/17/03/2014
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