दाग
रास्ता दिखला रहे, मंज़िल ना खुद जो पा सके
ढूंढते हैं फिर बहाना दिल को जो बहला सके
वो उठाते रह गये बस दूसरों पर उंगलियां
दाग उन को अपने चेहरे के नज़र ना आ सके
काम बाकी है बहुत ,मौक़ा उन्हें फिर चाहिये
क्या किया इतने बरस, ये बात ना समझा सके
लोग इतने भी नहीं नादान हैं सुन लीजिये
जो गिरे दिल से न फिर पेहचान अपनी पा सके
Sunil_Telang/18/03/2014
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