किस्मत
वो अकेला रह गया मैदां में अक्सर
जिसने सोचा कुछ अलग कर के दिखायें
हर गली हर मोड़ पर चर्चे हैं उसके
तंज तो दो चार हम भी कसते जायें
साथ मिल जुल के चलें, सीखा नहीं है
चलिये उसकी राह में कांटे बिछायें
हो अभी नादान तुम, सीखा नहीं कुछ
कुछ न बदलेगा यहाँ, चल के बतायें
लोग जीते हैं यहाँ हर रोज़ मर के
हौसले कैसे भला उनके बढ़ायें
अपनी किस्मत अपने हाथों से लिखें जो
नाम दुनिया में वो ही बस कर के जायें
Sunil_Telang/25/03/2014
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