Tuesday, March 25, 2014

KISMAT


किस्मत 

वो    अकेला   रह   गया  मैदां  में अक्सर 
जिसने सोचा कुछ अलग कर के दिखायें

हर  गली   हर  मोड़   पर   चर्चे  हैं  उसके 
तंज  तो  दो  चार  हम   भी  कसते  जायें 

साथ  मिल  जुल  के  चलें, सीखा नहीं  है 
चलिये   उसकी   राह   में   कांटे  बिछायें 

हो  अभी  नादान  तुम,  सीखा  नहीं कुछ 
कुछ  न  बदलेगा यहाँ,  चल   के   बतायें 

लोग   जीते   हैं   यहाँ   हर  रोज़   मर  के 
हौसले     कैसे      भला     उनके     बढ़ायें

अपनी किस्मत अपने हाथों से लिखें जो 
नाम दुनिया में वो  ही  बस  कर के जायें  

Sunil_Telang/25/03/2014


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