गुलशन में
फूल तो हैं हज़ार गुलशन में
कौन लाये बहार गुलशन में
बाग़बाँ चैन से घर सोया है
उड़ रहा है गुबार गुलशन में
रुत बदलती नहीं, खिजां दस्तक
दे रही बार बार गुलशन में
शुष्क पत्ते हुये दरख्तों के
हुई शाखें बेज़ार गुलशन में
दूर से इक महक तो आई है
ये नयी है बयार गुलशन में
शायद इस बार फ़िज़ा बदलेगी
चढ़ रहा है खुमार गुलशन में
Sunil_Telang/16/03/2014
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