बेताब
लोग कुछ बेताब हैं सत्ता को पाने के लिये
और कुछ संघर्ष करते हैं ज़माने के लिये
याद रखना वो लड़ाई, ज़ुल्म, अत्याचार से
हादसे होते नहीं हैं भूल जाने के लिये
कुछ तमाशा रोज़ दिखलाते तमाशा बन गये
रूठ जाते हैं कोई आये मनाने के लिये
हर तरफ मौक़ा परस्ती,दोस्ती क्या दुश्मनी
रह गई सच्च्चाई नैतिकता, दिखाने के लिये
कौन है हमदर्द तेरा , ये ज़रा पहचान ले
आ रहे सौगात लेकर फिर मनाने के लिये
Sunil_Telang/21/03/2014
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