अवसरवाद
ये चुनावी जंग है या सिर्फ अवसरवाद है
दिनबदिन दल बदलुओं की बढ़ रही तादाद है
अब है नैतिकता कहाँ चारों तरफ अवसाद है
रोज़ सत्ता के लिये तिकड़म नयी ईज़ाद है
बुत परस्ती में घिरे सब हर तरफ उन्माद है
किसने दीं कुर्बानियां ये आज किसको याद है
आम जनता के लबों पर आज भी फ़रियाद है
लोग कहते हैं कि अपना देश ये आज़ाद है
Sunil _Telang/13/03/2014
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