Sunday, January 12, 2014

LAHAR


लहर

कुछ   लोग  परेशां   हैं  बदलाव  की  लहर  से 
बेचैन   हो   रहे   हैं   रुसवाइयों    के    डर   से 

हलचल  सी बढ़  गई  है सुनसान  रास्तों  पर 
मालूम  है   हुकूमत अब   ना  चलेगी  घर  से 

अब  और  नहीं  होगा  ज़ुल्मो सितम  गवारा   
उठने   लगीं   सदायें  हर  गाँव   हर  शहर  से 

बदले  हैं   राज नीति   के   मायने  कुछ   ऐसे 
वो जीत के भी सत्ता की मिल्कीयत को तरसे  

लायेगी   रंग   हरसू  जनता  की  ये  कवायद 
बच  ना सकेगा  कोई  अब  आप  के असर से 

Sunil_Telang/12/01/2014







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