लहर
कुछ लोग परेशां हैं बदलाव की लहर से
बेचैन हो रहे हैं रुसवाइयों के डर से
हलचल सी बढ़ गई है सुनसान रास्तों पर
मालूम है हुकूमत अब ना चलेगी घर से
अब और नहीं होगा ज़ुल्मो सितम गवारा
उठने लगीं सदायें हर गाँव हर शहर से
बदले हैं राज नीति के मायने कुछ ऐसे
वो जीत के भी सत्ता की मिल्कीयत को तरसे
लायेगी रंग हरसू जनता की ये कवायद
बच ना सकेगा कोई अब आप के असर से
Sunil_Telang/12/01/2014
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