भरोसा
हम तो ना समझ पाये ये राज नीति क्या है
हमने तो फकत जनता के दर्द को समझा है
दो दिन का है ये ताज रहे आज या कल जाये
जो हमसे बना हमने वो कर के दिखाया है
वो बाँट रहे देश को जातियों औ धर्मों में
क्या भूख ग़रीबी से बड़ा भी कोई मसला है
तुम हमको उठाओ या निगाहों से गिरा डालो
रुकते नहीं इंसान जिन्हें खुद पे भरोसा है
Sunil_Telang/09/01/2014
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