Friday, January 17, 2014

KALAAM


कलाम

कुछ और भी मैं लिखता, गर तू कलाम पढ़ता 
मेरे  दर्द  की   कहानी, तू  सुबहो  शाम  पढ़ता  
अशआर  मेरे  शायद,  तेरा  ही  ज़िक्र  करते 
हर  नाम  से   मैं  पहले,   तेरा  ही नाम  पढ़ता

Sunil_Telang/17/01/2014

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