Thursday, January 30, 2014

SHIKAAYAT


शिकायत

यूँ तो हमको  भी शिकायत कम नहीं 
पर  लबों  को  खोलने  का  दम  नहीं 

हर  ख़ुशी  ग़म   के  अंधेरों  से  घिरी 

शादमानी    का  कहीं   आलम  नहीं  शादमानीJoy,Happiness )

जब  तलक खुद  पे  नहीं गुजरी कभी 

हादसों   पे   आँख   होती   नम  नहीं 

भूल    बैठे   वायदों    की   अहमियत 

अपनी  बातों  पर  कोई  कायम नहीं

अपनी  अपनी   फ़िक्र   में  डूबा  जहां  
खुशनुमा  लगता  कोई  मौसम  नहीं 

हो  रही  है  बस  सियासत हर जगह  
ज़ख्म   ही  मिलते  रहे, मरहम  नहीं

Sunil_Telang/30/01/2014







                                                                                                                                      




Tuesday, January 28, 2014

HAAS PARIHAAS


हास  परिहास

ज़िन्दगी  को  आम से  कुछ  ख़ास  कर  
ग़म  भुला  के, हास  और  परिहास कर 

काम  दुनिया में   नहीं   मुश्किल  कोई 

सिर्फ   अपने  आप  पर   विश्वास   कर 

चाहे    कितनी    भी   अँधेरी   रात   हो 
एक  उजली  सुबह   का   आभास   कर 

हैसियत   तेरी   किसी   से    कम  नहीं 
अपने   मन    से   दूर   ये   संत्रास   कर 

अपने  हाथों  से  तू  लिख  तक़दीर  को  
ख्वाब  बन  जायें  हकीकत,  आस  कर 

Sunil_Telang/28/01/2014 










Saturday, January 25, 2014

GANTANTRA


गणतंत्र

सौ  नुक्स   ढूंढने   में  गुज़री   है   उम्र   सारी 
कुछ कर के भी दिखायें हिम्मत नहीं हमारी 

करती  रही  परेशां  बस  दूसरों  की  खुशियां 

लोगों  से जलन रखने  की  है अज़ब बीमारी 

जीते  हैं  लोग   लेकर  अब  झूठ  का  सहारा 

सच्चाई    गुमशुदा   है    सोई      ईमानदारी 

उसकी   कवायदों   को   लोगों  ने  ऐसे  देखा 

दिखला   रहा   तमाशा   जैसे   कोई   मदारी 

कब   तक   पुराने    ढर्रे   पर    सोचते  रहेंगे                 

ये खामियां  किसी  दिन सबको पड़ेंगी भारी 

गण  से  अलग  हुआ  है गणतंत्र  है ये  कैसा 
रह  जाये  ना  दिखावा  ये  संस्कृति  हमारी

Sunil_Telang/25/01/2014 




Tuesday, January 21, 2014

MANORANJAN


मनोरंजन 

हो   गया  धरना  ख़तम  लो  अब  शुरू चिन्तन हुआ 
ज़िक्र  आया  हर जुबां  पर  जिसका  जैसा मन हुआ 

इक    तमाशा   और    नौटंकी   नज़र    आई    कहीं 
और किसी मज़लूम और बेबस का शीतल तन हुआ 

हर  किसी  का चाल ,चेहरा और चरित  दिखने लगा 
कश्मकश में  बस  परेशां  आम  जन   जीवन   हुआ 

भूल    कर    मुद्दे    ज़रूरी    हो     रही    छींटा  कशी 
आदमी    का    जीना  मरना  भी   मनोरंजन   हुआ 

Sunil _Telang/21/0/12014

Saturday, January 18, 2014

HAKIKAT



हकीकत

हकीकत वो नहीं  होती नज़र आती  है जो अक्सर 
ज़रा  तस्वीर  के पीछे  भी  तो  इक बार  देखा कर 

बदल पाये नही कुछ भी  ज़मीं  के  वो खुदा बन के 
हमें  बहलाते रहते  हैं  रुपहले  ख्वाब  दिखला कर 

उमर  गुज़री  ख़तम  होता   नहीं  हैं  मोह सत्ता  का 

कोई  चाहे  ना  चाहे  पर  बने  हैं  बोझ  जनता  पर

किसे  अब   दोष   दें  हम  खुद  बने   बैठे  तमाशाई  

सितम सहते  रहे  उनके  कभी हँसकर कभी रोकर

नई   उम्मीद  जागी  है  हुआ   बदलाव  कुछ   ऐसा  

सताने लग गया हर ख़ास को आम आदमी का  डर  

Sunil_Telang/18/01/2014

  




Friday, January 17, 2014

KALAAM


कलाम

कुछ और भी मैं लिखता, गर तू कलाम पढ़ता 
मेरे  दर्द  की   कहानी, तू  सुबहो  शाम  पढ़ता  
अशआर  मेरे  शायद,  तेरा  ही  ज़िक्र  करते 
हर  नाम  से   मैं  पहले,   तेरा  ही नाम  पढ़ता

Sunil_Telang/17/01/2014

NAYA BHAARAT



नया  भारत 

लोग   नादानी   दिखाते  जायेंगे 
राह   में   कांटे   बिछाते  जायेंगे 

उनको करने दीजिये  छींटाकशी 
हम तो बस यूँ मुस्कुराते जायेंगे 

इम्तिहां ना  ख़त्म  होंगे उम्र भर 
रोज़   हमको  आज़माते  जायेंगे 

नुक्स दिखला के हमें हर बात में 
अपनी नाकामी  छिपाते जायेंगे 

चल पड़े  हैं अब  रुकेंगे ना कदम 
इक  नया  भारत  बनाते जायेंगे 

Sunil_Telang/17/01/2014

Thursday, January 16, 2014

BACHPAN



बचपन 
नींद    में   सोया   हुआ   नादान   बचपन 
अपने कल की फ़िक्र से अनजान बचपन 
ये ज़मीं  बिस्तर बनी  और आसमां  छत 
कल  के भारत वर्ष   की  पहचान बचपन

Sunil_Telang/16/01/2014









Wednesday, January 15, 2014

BHOOKH


भूख

इस  कदर क्यों  बेबसी  से देखता है 
तेरे दिल की बात दिल ये जानता है 
तू भी ले ले आज जो हमको मिला है 
भूख है क्या चीज़ मुझको भी पता है 

Sunil_Telang/15/01/2014

Sunday, January 12, 2014

LAHAR


लहर

कुछ   लोग  परेशां   हैं  बदलाव  की  लहर  से 
बेचैन   हो   रहे   हैं   रुसवाइयों    के    डर   से 

हलचल  सी बढ़  गई  है सुनसान  रास्तों  पर 
मालूम  है   हुकूमत अब   ना  चलेगी  घर  से 

अब  और  नहीं  होगा  ज़ुल्मो सितम  गवारा   
उठने   लगीं   सदायें  हर  गाँव   हर  शहर  से 

बदले  हैं   राज नीति   के   मायने  कुछ   ऐसे 
वो जीत के भी सत्ता की मिल्कीयत को तरसे  

लायेगी   रंग   हरसू  जनता  की  ये  कवायद 
बच  ना सकेगा  कोई  अब  आप  के असर से 

Sunil_Telang/12/01/2014







Thursday, January 9, 2014

BHAROSA



भरोसा

हम तो ना  समझ पाये  ये राज नीति क्या  है 
हमने तो फकत जनता के दर्द  को  समझा है 

दो दिन का है ये ताज रहे आज या कल जाये 
जो  हमसे बना हमने  वो कर  के  दिखाया है 

वो  बाँट  रहे  देश  को  जातियों  औ  धर्मों  में 
क्या  भूख ग़रीबी से बड़ा  भी  कोई मसला है 

तुम हमको उठाओ या निगाहों से गिरा डालो
रुकते  नहीं  इंसान जिन्हें  खुद  पे  भरोसा है 

Sunil_Telang/09/01/2014








Monday, January 6, 2014

SARTAAJ



सरताज

सारी  दुनिया  से  निराला "आप" का  अंदाज़ होगा 
आज  दिल्ली  जीत ली  कल  देश पर भी राज होगा 

ये   लड़ाई   अब   तेरी   मेरी  नहीं  अब   है  हमारी
जीते जी  कुछ कर  दिखाने  का नया आग़ाज़ होगा 

झूठे  वादे , झूठी   बातें , अब   नहीं   मानेगा  कोई 
आम  जन  से जो  जुडेगा  उसके  सर पे ताज होगा

वक़्त   आया   सोंप   दें   ईमानदारों   को   हुक़ूमत 
आयेगा दिन अपना  भारत विश्व  में  सरताज होगा  

Sunil_Telang/06/01/2014




Saturday, January 4, 2014

PARAKH



परख

सयाने  लोग   ही  नादानियाँ  अक्सर  दिखाते  हैं 
यहाँ  शीशे  के  घर उनके  भी  हैं  ये  भूल जाते  हैं 

कभी हो के मियां मिट्ठू तमाशा खुद  ही बनते हैं 
लगा  कर  आग  अपने  ही  कलेजे  को जलाते  हैं 

गवारा  ये  नहीं  उनको  भी  कोई  राह  दिखलाये 
सबक  कोई  नहीं  इतिहास  से  वो  सीख  पाते हैं 

फ़क़त  नाकामियाँ गिनवाने में ही वक़्त जाता है 
नहीं उपलब्धियां अपनी किसी  को वो दिखाते हैं

नहीं इतने  भी  भोले  लोग हैं  इतना समझ लीजे 
परख कर जान कर ही लोग अब सर पे बिठाते हैं 

Sunil_Telang/04/01/2014


Wednesday, January 1, 2014

SWAAGTAM



स्वागतम 

भुला कर ग़म  के  अँधेरे  उजालों   पर  नज़र  डालें 
सजायें कुछ नये सपने  नये कुछ  काम  कर   डालें 

मिली ये ज़िन्दगी यूँ  ही नहीं  गुमनाम   जीने  को 
बने पहचान कुछ अपनी नया कुछ जोश  भर डालें 

ग़मों से  ही  गुज़र के  रास्ते खुशियों  के  मिलते हैं 
सफ़र की मुश्किलों से अब तो दो दो हाथ कर डालें 

नहीं वो  ख़ास  थे  जो रच गये  इतिहास दुनिया में 
कभी  तो  खूबियों  पर भी  ज़रा अपनी नज़र डालें 

नये  संकल्प  लेकर  फिर  बढ़ायें हम कदम अपने 
करें स्वागत नये  इस वर्ष  का कुछ  रंग  भर  डालें 

Sunil_Telang/01/01/2014