शिकायत
यूँ तो हमको भी शिकायत कम नहीं
पर लबों को खोलने का दम नहीं
हर ख़ुशी ग़म के अंधेरों से घिरी
शादमानी का कहीं आलम नहीं ( शादमानी - Joy,Happiness )
जब तलक खुद पे नहीं गुजरी कभी
हादसों पे आँख होती नम नहीं
भूल बैठे वायदों की अहमियत
अपनी बातों पर कोई कायम नहीं
अपनी अपनी फ़िक्र में डूबा जहां
खुशनुमा लगता कोई मौसम नहीं
हो रही है बस सियासत हर जगह
ज़ख्म ही मिलते रहे, मरहम नहीं
Sunil_Telang/30/01/2014
हास परिहास
ज़िन्दगी को आम से कुछ ख़ास कर
ग़म भुला के, हास और परिहास कर
काम दुनिया में नहीं मुश्किल कोई
सिर्फ अपने आप पर विश्वास कर
चाहे कितनी भी अँधेरी रात हो
एक उजली सुबह का आभास कर
हैसियत तेरी किसी से कम नहीं
अपने मन से दूर ये संत्रास कर
अपने हाथों से तू लिख तक़दीर को
ख्वाब बन जायें हकीकत, आस कर
Sunil_Telang/28/01/2014
गणतंत्र
सौ नुक्स ढूंढने में गुज़री है उम्र सारी
कुछ कर के भी दिखायें हिम्मत नहीं हमारी
करती रही परेशां बस दूसरों की खुशियां
लोगों से जलन रखने की है अज़ब बीमारी
जीते हैं लोग लेकर अब झूठ का सहारा
सच्चाई गुमशुदा है सोई ईमानदारी
उसकी कवायदों को लोगों ने ऐसे देखा
दिखला रहा तमाशा जैसे कोई मदारी
कब तक पुराने ढर्रे पर सोचते रहेंगे
ये खामियां किसी दिन सबको पड़ेंगी भारी
गण से अलग हुआ है गणतंत्र है ये कैसा
रह जाये ना दिखावा ये संस्कृति हमारी
Sunil_Telang/25/01/2014
मनोरंजन
हो गया धरना ख़तम लो अब शुरू चिन्तन हुआ
ज़िक्र आया हर जुबां पर जिसका जैसा मन हुआ
इक तमाशा और नौटंकी नज़र आई कहीं
और किसी मज़लूम और बेबस का शीतल तन हुआ
हर किसी का चाल ,चेहरा और चरित दिखने लगा
कश्मकश में बस परेशां आम जन जीवन हुआ
भूल कर मुद्दे ज़रूरी हो रही छींटा कशी
आदमी का जीना मरना भी मनोरंजन हुआ
Sunil _Telang/21/0/12014
हकीकत
हकीकत वो नहीं होती नज़र आती है जो अक्सर
ज़रा तस्वीर के पीछे भी तो इक बार देखा कर
बदल पाये नही कुछ भी ज़मीं के वो खुदा बन के
हमें बहलाते रहते हैं रुपहले ख्वाब दिखला कर
उमर गुज़री ख़तम होता नहीं हैं मोह सत्ता का
कोई चाहे ना चाहे पर बने हैं बोझ जनता पर
किसे अब दोष दें हम खुद बने बैठे तमाशाई
सितम सहते रहे उनके कभी हँसकर कभी रोकर
नई उम्मीद जागी है हुआ बदलाव कुछ ऐसा
सताने लग गया हर ख़ास को आम आदमी का डर
Sunil_Telang/18/01/2014
कलाम
कुछ और भी मैं लिखता, गर तू कलाम पढ़ता
मेरे दर्द की कहानी, तू सुबहो शाम पढ़ता
अशआर मेरे शायद, तेरा ही ज़िक्र करते
हर नाम से मैं पहले, तेरा ही नाम पढ़ता
Sunil_Telang/17/01/2014
नया भारत
लोग नादानी दिखाते जायेंगे
राह में कांटे बिछाते जायेंगे
उनको करने दीजिये छींटाकशी
हम तो बस यूँ मुस्कुराते जायेंगे
इम्तिहां ना ख़त्म होंगे उम्र भर
रोज़ हमको आज़माते जायेंगे
नुक्स दिखला के हमें हर बात में
अपनी नाकामी छिपाते जायेंगे
चल पड़े हैं अब रुकेंगे ना कदम
इक नया भारत बनाते जायेंगे
Sunil_Telang/17/01/2014
बचपन
नींद में सोया हुआ नादान बचपन
अपने कल की फ़िक्र से अनजान बचपन
ये ज़मीं बिस्तर बनी और आसमां छत
कल के भारत वर्ष की पहचान बचपन
Sunil_Telang/16/01/2014
भूख
इस कदर क्यों बेबसी से देखता है
तेरे दिल की बात दिल ये जानता है
तू भी ले ले आज जो हमको मिला है
भूख है क्या चीज़ मुझको भी पता है
Sunil_Telang/15/01/2014
लहर
कुछ लोग परेशां हैं बदलाव की लहर से
बेचैन हो रहे हैं रुसवाइयों के डर से
हलचल सी बढ़ गई है सुनसान रास्तों पर
मालूम है हुकूमत अब ना चलेगी घर से
अब और नहीं होगा ज़ुल्मो सितम गवारा
उठने लगीं सदायें हर गाँव हर शहर से
बदले हैं राज नीति के मायने कुछ ऐसे
वो जीत के भी सत्ता की मिल्कीयत को तरसे
लायेगी रंग हरसू जनता की ये कवायद
बच ना सकेगा कोई अब आप के असर से
Sunil_Telang/12/01/2014
भरोसा
हम तो ना समझ पाये ये राज नीति क्या है
हमने तो फकत जनता के दर्द को समझा है
दो दिन का है ये ताज रहे आज या कल जाये
जो हमसे बना हमने वो कर के दिखाया है
वो बाँट रहे देश को जातियों औ धर्मों में
क्या भूख ग़रीबी से बड़ा भी कोई मसला है
तुम हमको उठाओ या निगाहों से गिरा डालो
रुकते नहीं इंसान जिन्हें खुद पे भरोसा है
Sunil_Telang/09/01/2014
सरताज
सारी दुनिया से निराला "आप" का अंदाज़ होगा
आज दिल्ली जीत ली कल देश पर भी राज होगा
ये लड़ाई अब तेरी मेरी नहीं अब है हमारी
जीते जी कुछ कर दिखाने का नया आग़ाज़ होगा
झूठे वादे , झूठी बातें , अब नहीं मानेगा कोई
आम जन से जो जुडेगा उसके सर पे ताज होगा
वक़्त आया सोंप दें ईमानदारों को हुक़ूमत
आयेगा दिन अपना भारत विश्व में सरताज होगा
Sunil_Telang/06/01/2014
परख
सयाने लोग ही नादानियाँ अक्सर दिखाते हैं
यहाँ शीशे के घर उनके भी हैं ये भूल जाते हैं
कभी हो के मियां मिट्ठू तमाशा खुद ही बनते हैं
लगा कर आग अपने ही कलेजे को जलाते हैं
गवारा ये नहीं उनको भी कोई राह दिखलाये
सबक कोई नहीं इतिहास से वो सीख पाते हैं
फ़क़त नाकामियाँ गिनवाने में ही वक़्त जाता है
नहीं उपलब्धियां अपनी किसी को वो दिखाते हैं
नहीं इतने भी भोले लोग हैं इतना समझ लीजे
परख कर जान कर ही लोग अब सर पे बिठाते हैं
Sunil_Telang/04/01/2014
स्वागतम
भुला कर ग़म के अँधेरे उजालों पर नज़र डालें
सजायें कुछ नये सपने नये कुछ काम कर डालें
मिली ये ज़िन्दगी यूँ ही नहीं गुमनाम जीने को
बने पहचान कुछ अपनी नया कुछ जोश भर डालें
ग़मों से ही गुज़र के रास्ते खुशियों के मिलते हैं
सफ़र की मुश्किलों से अब तो दो दो हाथ कर डालें
नहीं वो ख़ास थे जो रच गये इतिहास दुनिया में
कभी तो खूबियों पर भी ज़रा अपनी नज़र डालें
नये संकल्प लेकर फिर बढ़ायें हम कदम अपने
करें स्वागत नये इस वर्ष का कुछ रंग भर डालें
Sunil_Telang/01/01/2014