Thursday, July 31, 2014

SANSKRATI



संस्कृति

किस  लिये  शिक्षित  हुये ये बेकदर 
फिर  रहे  हैं  यूँ   भटकते   दर  बदर
संस्कृति  अपनी  जो अपनाते यहाँ
बन  गये  हैं बोझ  क्या  इस देश पर

अपनी भाषा का सहें अपमान क्यों 
हर जगह अंग्रेज़ियत का मान क्यों
हास   का   है  पात्र   राष्ट्र गान  क्यों 
क्या नहीं सरकार को   इसकी खबर 

कुछ   नये   बदलाव  जल्दी  लाइये  
नौनिहालों को  ना  अब  भटकाइये 
अपना  भारत  ना  बनाओ  इंडिया 
बाँट ना   दे  हम को  ये  मीठा ज़हर 

Sunil_Telang/31/07/2014

 



Tuesday, July 29, 2014

NAGHMA


नग़मा 

हो अगर  दिल  में जगह  तो हर कोई  मेहमां  बने
तेरे  सुर  से  मेरा  सुर मिल  जाये  तो  नग़मा बने 

मुश्किलें  इस  देश   की  आसान  हो  जायें   अगर 
आदमी   हिन्दू   मुसलमां   छोड़   कर  इन्सां  बने 

तोड़   दें   दीवार  जाति    और  मज़हब   की  सभी 
सिर्फ  अब   इंसानियत  ही   दीन  और  ईमां  बने 

भूल कर  ये  बैर, रंजिश  आओ  मिल  जायें   गले 
हो  अमन और चैन  तो  खुशहाल   हिन्दुस्तां  बने 

Sunil_Telang/29/07/2014

JASHN


जश्न 

मुबारक बाद कैसे दें , कहीं खुशियाँ ,कहीं ग़म है 
कहीं पर  रक्तरंजित है ज़मीं , हर ओर मातम है 
कहाँ  बैठे अमन के ऐ खुदाओ, इक  नज़र डालो 
मनायें जश्न कैसे  ईद  का जब  आँख पुरनम है 

Sunil_Telang/29/07/2014

Monday, July 28, 2014

MAKAAM


मकाम

यूँ  तो  लबों  पे  अपने  कितने  ही  नाम थे 
लेकिन खयालों  में तुम  ही सुबहो-शाम थे 

इकरारे  वफ़ा  तो  हम  तुमसे  ना कर सके

नज़रों  से  दिल ने  भेजे  कितने  पयाम थे

ना तुमने कुछ कहा था ना हमने कुछ कहा 
फिर भी  हर इक जुबां  पर चर्चे ये  आम थे

ये प्यार था,कशिश थी,या  बस  फरेब कोई   
किस्मत   में   दूरियों  के  भी  इंतजाम   थे 

अब  दूर   तुमसे   रह  के  महसूस  ये  हुआ 
मंज़िल नहीं थे तुम  भी बस इक मकाम थे 

Sunil_Telang/28/07/2014





Thursday, July 24, 2014

BABAAL



बबाल

चलो इक बार उनको भी तो  रोटी का ख़याल आया 
ना  जाने क्यों ज़रा सी बात पर इतना बबाल आया 

यहाँ   तो   रोज़    लाखों   लोग  भूखे  पेट  सोते   हैं 
मगर पहले  कभी ना  उनके  चेहरे  पे मलाल आया

मिली  फुर्सत  ना  उनको  दूसरों  का  हाल  वो  पूछें  
जो गुज़री आज खुद पे  तो जेहन में ये सवाल आया 

संभल  जाओ  ज़मीं  के ऐ  खुदाओ, याद  ये  रखना  
उड़ा जो आसमां में,बस समझ लो उसका काल आया 

Sunil_Telang/24/07/2014









Tuesday, July 22, 2014

LAKSHYA



लक्ष्य 

ख़ुशी   के  दो  पलों  का  ले  सहारा 
ग़मों  को याद  ना   करना दोबारा  

हमेशा रश्क़ क्या करना  किसी से
यहाँ है हर कोई किस्मत का मारा  

जो   तेरे   सामने   है , पल  है  तेरा  
इसी    में   ज़िन्दगी  का  है गुज़ारा 

यहाँ   तेरे   सिवा   तेरा   ना   कोई 
समझ  लो   मेरी  बातों  का इशारा 

लुटायें  प्यार, नफरत को  भुला के 
यही  हो  लक्ष्य  दुनिया  में  हमारा 

Sunil_Telang/22/07/2014

Thursday, July 17, 2014

SHAAYARI


शायरी

अब  किसी  से  दोस्ती   ना  दुश्मनी  अच्छी  लगे
साथ  हो  अपना  कोई  तो  हर  खुशी  अच्छी लगे  

शौक  था  उनका  मोहब्बत  हमने  माना ज़िंदगी 
जब  से  टूटा  दिल  जहां   की  बेरुखी अच्छी लगे 

ओढ़कर  अक्सर   मुखौटे   लोग  मिलते   हैं  यहाँ 
दिल से दिल मिल जाये ऐसी  सादगी अच्छी लगे 

कोई  होगा  ना  खफा , पहले   जुबां   को  तोलिये 
हँस  के  जो बोलो  तो  कड़वी बात भी अच्छी लगे 

कितने मोमिन,मीर,ग़ालिब नाम अपना कर गये 
जो  करे  दिल  पर  असर वो  शायरी  अच्छीे  लगे 

Sunil_Telang/17/07/2014









GURBAT


ग़ुरबत

बहुत  ग़म  हैं  ज़माने  में  कभी  शिकवा  ना  करना 
गुज़र जायेंगे दिन ग़ुरबत के  दिल छोटा  ना  करना 
फकत दौलत  कमाने   से  नहीं  मिलती  हैं खुशियाँ
सबर  के  साथ जीना,  ख्वाहिशें   ज़्यादा  ना करना 

Sunil_Telang/16/07/2014
 

  






Friday, July 11, 2014

RANGAT



रंगत 


समझिये बात को पहले , अजी गुस्सा ना  करिये  
अभी  रंगत   नहीं  उतरी , ज़माने  से   भी  डरिये 

तुम्हें  तो  नुक्स  ही  आते  नज़र  हर  मामले   में 
मिलेगा सब्र का फल, कुछ दिनों धीरज तो धरिये 

चलो माना,  नहीं  कायम  हैं  वो अपनी जुबां  पर 
मगर  जनतंत्र  का  भी  तो ज़रा  सम्मान  करिये 

नहीं इतनी भी  भोली अब  रही जनता, समझिये 
दिया  मौक़ा परस्तों   को  सबक वोटों  के ज़रिये 

ग़लत है क्या , सही  क्या  है ,बहस  का है ये मुद्दा 
किसी को  आइना दिखलायें, पहले  खुद  सुधरिये 

Sunil_Telang/11/07/2014

Thursday, July 10, 2014

SHAHNAAIYAN



शहनाइयां  

कभी  तन्हाईयां  होंगी ,  कभी  रुसबाइयां  होंगी 
चलोगे जिस डगर पर तुम मेरी परछाइयां  होंगी 

बसे हो जब निगाहों में तो फिर ये दूरियां क्या हैं 

मेरे  ख़्वाबों  की  दुनियां ये  तेरी  रानाइयां होंगी 

छुपा है चाँद बदली में , ये मदहोशी का आलम है 

सर-ए-आईना तूने  फिर से ली अंगड़ाइयां  होंगी 

गुज़र जायेंगी ये फुरकत की रातें वस्ल भी होगा     

नये  नग़मे  सुनाती  बज  रही शहनाइयां  होंगी 

Sunil_Telang/10/07/2014
    

       

Tuesday, July 8, 2014

PRAYAAS



प्रयास 

गरीबों  का  बजट  अक्सर  अमीरों  को ही रास आया 
किसी आम आदमी के हाथ में कुछ भी न ख़ास आया 
वही   घाटे  का  रोना,  फिर  वही  संसाधनों  का  ग़म  
फकत इन  घोषणाओं  पर  कहें   कैसे  विकास  आया 

नहीं   अब   तक   दवा   आई   जो  भ्रष्टाचार  को  रोके
हुई   पटरी  पुरानी   नित   मुसाफिर  माल  ढो  ढो  के  
ठसाठस   भर   के   चलते   रेलगाड़ी   के  सभी   डब्बे 
मगर   फिर  भी   नहीं  भरपूर  पैसा  तेरे   पास  आया

बुलेट   ट्रेनों   के    कैसे   देख   पायें   हम  अभी  सपने 
हमें  चिन्ता , सुरक्षित  कैसे   पहुंचें   गाँव,  घर  अपने 
किराया   बढ़   रहा   है   तो   हमें   दो   मूल  सुविधायें  
तभी  हम  कह  सकेंगे लो  कोई  सार्थक  प्रयास आया 

Sunil_Telang/08/07/2014








APNAPAN


अपनापन

ग़रीबी, भूख  और  लाचारगी  में  पल रहा  बचपन     
सदी बदली,समय बदला ,रहा फिर भी ये नंगा तन 
रहेंगे  कब  तलक  हाथों   को  फैलाये  हुये   यूँ  ही 
कोई  तो हो  हमें जो दे  सके कुछ प्यार अपनापन 

Sunil _Telang/08/07/2014 


Sunday, July 6, 2014

BANDAGI


बन्दगी

कोई ख्वाहिश नहीं  दिल  में 
तो ये  ग़म और खुशी क्या है 
नहीं   मक़सद   अगर   कोई  
तो  फिर ये  ज़िन्दगी क्या है 

हुआ     है    ये    जनम   तेरा  
नया  कुछ  कर  दिखाने  को 
तू अब तक ना  समझ पाया 
भला   ये    आदमी   क्या  है 

ग़मों   के   बोझ   की   गठरी 
उठाये     रोज़     फिरता    तू 
कभी      देखा      नहीं     तेरे
लबों   पर   ये   हँसी  क्या  है 

कोई  हिन्दू , कोई   मुस्लिम 
कोई     ईसाई      बन     बैठा 
मगर समझा  नहीं  अब तक  
खुदा    की   बन्दगी क्या   है 

Sunil _Telang/06/07/2014







Thursday, July 3, 2014

DAUR



दौर 

हर  तरफ  छाया जुनूं  फुटबाल का
हाल  क्या बतलायें  अपने हाल का

सर चढ़ी  मंहगाई किससे क्या कहें  

पूछिये  ना   भाव   आटे   दाल   का 

रेल गाड़ी  का   सफर  मंहगा   हुआ 
भूल  बैठे   नाम   हम  ससुराल  का 

लड़खड़ाई   अन्ध  भक्तों   की   जुबां  
अब रहा ना ज्ञान सुर और ताल का 

आयेगा  अच्छे  दिनों  का  दौर  भी 
जोक है सबसे  बड़ा  इस  साल  का 

Sunil_Telang/03/07/2014







KHUMAARI



खुमारी

अंधेरों में  घिरे हैं  जो  कभी बाहर ना  निकलेंगे 
ज़माने को बदलना है मगर खुद को ना बदलेंगे 

अभी आँखों पे  पर्दे  हैं , खुमारी  है   अभी  बाकी 
यहां फिर ठोकरें खाकर ही नादां  लोग संभलेंगे 

Sunil_Telang/03/07/2014




Wednesday, July 2, 2014

MAUSAM



मौसम

अब खुशी तुमको  मिले या ग़म मिले 
हमको तो यादों के बस मौसम  मिले  
कर मोहब्बत इस तरह, देखे ज़माना 
आँख सबकी एक  दिन पुरनम  मिले 

Sunil_Telang/02/07/2014