Monday, June 30, 2014

KAHAANI


कहानी 

कब तक बैठें हम लिये अच्छे दिन की आस 
डगमग  डगमग  हो रहा जनता का विश्वास 

बढ़ी  पेट्रोल और डीज़ल की फिर से कीमत
धीरे  धीरे   टूट   रही   लोगों   की  हिम्मत 

आलू  और  प्याज   लाये  आँखों   में  पानी 
बदली  है   सरकार  मगर  है   वही  कहानी 

Sunil_Telang/30/06/2014






Friday, June 27, 2014

SHURUAAT


शुरुआत

और  भी  मुद्दे  ज़रूरी  हैं मगर हम, बात पहले  दाल रोटी  की  करें 
सख्त कर दें इस कदर क़ानून अपना, आततायी जुर्म करने  से डरें 

लूट भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने  का  नया संकल्प  जीवन  में  भरें 
दें नसीहत दूसरों को इस से अच्छा,ये नई शुरुआत हम खुद से करें 

Sunil_Telang/27/06/2014



Wednesday, June 25, 2014

ACHCHHE DIN


अच्छे    दिन 

बेवजह  ये  आँखें  ना  अश्क़वार  कीजिये 
हँस के इन्सानियत को शर्मसार कीजिये 

जान  हथेली पे लिये जीते   हैं  लोग  यहां 
रोज़  नये  हादसों  का  इन्तज़ार कीजिये

किसको  दें  दोष यहां  लूटा   है अपनों  ने                              
चर्चा  ना  दुश्मनों  की  बार बार  कीजिये 

हादसे की जांच होगी फिर पुरानी बातें हैं
कुछ  तो   नया   काम   सरकार  कीजिये  

हादसा ये छोटा था  इसका कुछ ग़म नहीं
अच्छे    दिन   आयेंगे   ऐतबार   कीजिये 

Sunil _Telang/25/06/2014


Tuesday, June 24, 2014

TAASEER


तासीर

कभी तो 
इंडिया को भूल कर 
भारत की  भी तस्वीर को  देखो 

कभी लाचार 

और बेबस के दिल में 
रोज़ उठती पीर  को  देखो 


यहाँ दो वक़्त की 

रोटी की चिंता में गुज़रते दिन 

ग़रीबी,भूख,

मंहगाई से जकड़ी 
ज़ुल्म की जंजीर  को देखो 


चलो ये माना हमने 

साइबर युग आ गया है 

मगर कोई 

बदल पाया  नहीं 
इन्सान की तक़दीर को देखो  


तेरे ऊंचे महल 

ये शानो - शौकत
इनके  दम से है 

फना हो जायेगी  

ये सल्तनत
है आह में तासीर को देखो  

Sunil_Telang/24/06/2014








Friday, June 20, 2014

RAIL KIRAAYA



रेल किराया 

रेल किराया बढ़ गया अचरज की क्या बात 
अच्छे  दिन की  हो गयी एक नयी शुरुआत 

कहो ना  इसको जनता  के संग  ये धोका है  
भीड़  भाड़   को  काबू  करने   का  मौक़ा  है 

बहुत ज़रूरी जाना  हो  बस  तभी निकलना 
वर्ना  सबसे  अच्छा   साधन  पैदल  चलना 

एक  तीर  से  कर लिये  दो  दो बार शिकार 
लोगों  की  सेहत   बने  ध्यान  धरे  सरकार 

बढे    हुये    भाड़े    से   पूरा    भरे  खजाना 
रेलगाड़ियों  में   भी  कम   हो  आना जाना 

बात बात में नुक्स ना यूँ  हर बार निकालो 
अब तो बोझ सहन  करने  की आदत डालो 

Sunil _Telang /20/06/2014












Thursday, June 19, 2014

SANDESH


सन्देश 

हर  सुबह  लेकर नई  उम्मीद  आती  है 
रात  के  ग़म  के अंधेरों  को  मिटाती है 
भूल कर  बीता  हुआ रखना कदम आगे 
हर किरन सूरज की ये सन्देश लाती  है 

Sunil_Telang/19/06/2014

Sunday, June 15, 2014

YAAD TUM AAYE



याद तुम आये 

कभी जब  साथ  रहते  थे तो  कोई आशियां  ना था 
चिलकती धूप थी, सर्दी में छत का भी निशां ना था 
कभी  दो  वक़्त  की रोटी  मिली , भूखे  कभी  सोये 
मगर  माँ  बाप  जैसा   और  कोई   मेहरबां  ना  था 

समझ पाये ना उनकी बात , थोड़ी  सी  थी नादानी 

वो मीठी सी झिड़क उनकी कभी मानी नहीं  मानी 
वो रोकर रूठ कर हर चीज़ को पाने की ज़िद करना 
गुज़ारा  कैसे   होता   है  कभी  इसका  गुमां  ना था 

कभी  हँसते, कभी लड़ते  झगड़ते हम हुये  काबिल 

खुशी  को  देख कर अपनी  दुआयें  दे  रहा  था दिल 
गुज़रते वक़्त में हमने बहुत कुछ कर लिया हासिल 
मगर अफ़सोस अच्छे वक़्त में उनका निशां  ना था 

जवानी  खो    गई   आया   बुढ़ापा  याद  तुम  आये 

कभी बच्चों ने खोया जब  भी आपा याद तुम आये 
हज़ारों  लोग   मिलते  हैं  मगर   वैसा   नहीं   कोई 
जहां  में   उनके  जैसा   और   कोई   दूसरा  ना   था 

Sunil_Telang



Saturday, June 14, 2014

HAADSE



हादसे  

हादसे     पर      हादसे       होते      रहे 
हम  समझ  कर  इक  खबर  सोते  रहे 

बहशियाना    हरकतें     बढ़ने     लगीं  

लोग   आपा   दिन  ब  दिन   खोते रहे 

ज़ख्म सहलाने की  फुरसत  ना मिली 

नफरतों   के   बीज    हम    बोते    रहे 

किसको  डर   है  देश   के  क़ानून  का 
न्याय     के   रक्षक  बने    तोते     रहे 

सुर्ख़ियां  बन  कर  खबर  चलती  रही 
खून    के    आंसू   ज़ख़म   रोते     रहे 

Sunil_Telang/13/06/2014

Monday, June 9, 2014

LAHAR



किसी  के  लिये ये  महज़ इक खबर  है 
किसी  के  दिलों  पर   ये  टूटा  कहर  है 
जो निकले हो घर से तो रहना सलामत  
यहां   हर   शहर   हादसों   का  शहर  है 

LAHAR

ज़िन्दगी  ग़म  की कहानी   हो  गई 
काल कलवित फिर जवानी  हो गई 

क्या कहर ढाती  हुई  आई  लहर वो

हर ख़ुशी दो पल  में  फानी  हो  गई 

ये खता थी, हादसा था या  कोताही 

जाने   किसकी  मेहरबानी   हो  गई 

ये दुःखद है , हादसे  की जांच होगी 

फिर  से  सरकारी  बयानी  हो   गई 

क्या महज़ इंसान की अब ज़िन्दगी 

चंद   सिक्कों  की  निशानी  हो गई 

कातिलों  पर   कब   करोगे   फैसले

जिनसे  ये   बस्ती  वीरानी  हो  गई 

Sunil_Telang/09/06/2014










Friday, June 6, 2014

KHUSHI



ख़ुशी

है  ख़ुशी  की  चाह  तो  अपने  ग़मों  से प्यार  कर 
ज़िन्दगी हँस के जियो  बैठो  न  मन  को मार कर 

कौन  है जिसका कभी दुःख से  हुआ ना  सामना 
बैठता   कोई   नहीं   इन्सान  हिम्मत   हार   कर 

हर किसी की अहमियत है सबकी अपनी खूबियां 

तू  किसी  से  कम  नहीं  है  बात  ये स्वीकार  कर 

मंज़िलें उनको  मिलीं जिसने चुनी  अपनी  डगर  

रोज़ मिलता हो सबक  तो  ग़लतियाँ सौ बार कर 

वो  कभी  इन्सां  थे  जो  हिन्दू  मुसलमां हो  गये    
तू   मोहब्बत  प्यार  से  सारा चमन गुलज़ार कर 

Sunil_Telang/06/06/2014




FARIYAAD


फ़रियाद

ज़िक्र     मत    ईमानदारी    का    करो 
हैं   ये    बातें   सिर्फ   कहने    के   लिये  
ताज तुमको  दे  दिया खुशियां मनाओ 
हम    यहां    हैं   दर्द   सहने   के   लिये 

नाम  हो  तेरा   ज़मीं   से  आसमां तक 
और   क्या   दें   हम  दुआओं  के  सिवा 
हम तो जीते लब  पे बस फ़रियाद लेके 
अश्क़   आँखों   में   हैं  बहने   के   लिये 

हो    रही    है    शर्मसार   इन्सानियत 
नारियों   की   लाज़    लुटती   देखकर  
मां, बहन,  बेटी  से   है   अस्तित्व तेरा 
रह   गया  क्या  और  कहने   के   लिये 

ये  धरम, ये जात, ये  नफरत  की  बातें 
दे  सकेंगी  कब  तलक   दिल  को सुकूं 
हमको बस इतनी फिकर, दो  वक्त रोटी 
और  घर  मिल  जाये  रहने   के   लिये 

Sunil_Telang/06/06/2014

Wednesday, June 4, 2014

MAATAM


मातम 

सिर्फ दो दिन का है मातम फिर किसी को ग़म नहीं 
हादसों    को     रोकने    में   तंत्र    ये    सक्षम   नहीं 

वक़्त  सबका  कीमती  है  फ़िक्र  किसको  जान  की 
कुछ  ग़लत हो जाये तो  समझें नियति भगवान की 
हैं   नियम  क़ानून ,  पर   रहता   कोई  कायम  नहीं 

लूट   भ्रष्टाचार   के   दम    पर    टिका    है  ये   जहां 
जेब   तेरी   हो   भरी  तो   कुछ   नहीं  मुश्किल  यहां 
झूठ   को   सच  में   बदलवाने   में  कोई   कम  नहीं 

दोष   किसको   दे   रहे   हैं   तंत्र    ये    हमसे    बना 
जो   फसल   बोई   है   हमने   बस   वही   है  काटना 
ज़ख्म   सबके   पास   हैं   देता   कोई   मरहम   नहीं 

Sunil_Telang/04/06/2014