Main koi kavi ya shaayar nahin hoon, Bus jo bhi apne aas paas dekhta hoon ya apne saath ghat raha hai, usko shabdon me dhaalne ki koshish karta hoon.
Monday, June 30, 2014
Friday, June 27, 2014
Wednesday, June 25, 2014
ACHCHHE DIN
अच्छे दिन
बेवजह ये आँखें ना अश्क़वार कीजिये
हँस के इन्सानियत को शर्मसार कीजिये
जान हथेली पे लिये जीते हैं लोग यहां
रोज़ नये हादसों का इन्तज़ार कीजिये
किसको दें दोष यहां लूटा है अपनों ने
चर्चा ना दुश्मनों की बार बार कीजिये
हादसे की जांच होगी फिर पुरानी बातें हैं
कुछ तो नया काम सरकार कीजिये
हादसा ये छोटा था इसका कुछ ग़म नहीं
अच्छे दिन आयेंगे ऐतबार कीजिये
Sunil _Telang/25/06/2014
Tuesday, June 24, 2014
TAASEER
तासीर
कभी तो
इंडिया को भूल कर
भारत की भी तस्वीर को देखो
कभी लाचार
और बेबस के दिल में
रोज़ उठती पीर को देखो
यहाँ दो वक़्त की
रोटी की चिंता में गुज़रते दिन
ग़रीबी,भूख,
मंहगाई से जकड़ी
ज़ुल्म की जंजीर को देखो
चलो ये माना हमने
साइबर युग आ गया है
मगर कोई
बदल पाया नहीं
इन्सान की तक़दीर को देखो
तेरे ऊंचे महल
ये शानो - शौकत
इनके दम से है
फना हो जायेगी
ये सल्तनत
है आह में तासीर को देखो
Sunil_Telang/24/06/2014
Friday, June 20, 2014
RAIL KIRAAYA
रेल किराया
रेल किराया बढ़ गया अचरज की क्या बात
अच्छे दिन की हो गयी एक नयी शुरुआत
कहो ना इसको जनता के संग ये धोका है
भीड़ भाड़ को काबू करने का मौक़ा है
बहुत ज़रूरी जाना हो बस तभी निकलना
वर्ना सबसे अच्छा साधन पैदल चलना
एक तीर से कर लिये दो दो बार शिकार
लोगों की सेहत बने ध्यान धरे सरकार
बढे हुये भाड़े से पूरा भरे खजाना
रेलगाड़ियों में भी कम हो आना जाना
बात बात में नुक्स ना यूँ हर बार निकालो
अब तो बोझ सहन करने की आदत डालो
Sunil _Telang /20/06/2014
Thursday, June 19, 2014
Sunday, June 15, 2014
YAAD TUM AAYE
याद तुम आये
कभी जब साथ रहते थे तो कोई आशियां ना था
चिलकती धूप थी, सर्दी में छत का भी निशां ना था
कभी दो वक़्त की रोटी मिली , भूखे कभी सोये
मगर माँ बाप जैसा और कोई मेहरबां ना था
समझ पाये ना उनकी बात , थोड़ी सी थी नादानी
वो मीठी सी झिड़क उनकी कभी मानी नहीं मानी
वो रोकर रूठ कर हर चीज़ को पाने की ज़िद करना
गुज़ारा कैसे होता है कभी इसका गुमां ना था
कभी हँसते, कभी लड़ते झगड़ते हम हुये काबिल
खुशी को देख कर अपनी दुआयें दे रहा था दिल
गुज़रते वक़्त में हमने बहुत कुछ कर लिया हासिल
मगर अफ़सोस अच्छे वक़्त में उनका निशां ना था
जवानी खो गई आया बुढ़ापा याद तुम आये
कभी बच्चों ने खोया जब भी आपा याद तुम आये
हज़ारों लोग मिलते हैं मगर वैसा नहीं कोई
जहां में उनके जैसा और कोई दूसरा ना था
Sunil_Telang
Saturday, June 14, 2014
Monday, June 9, 2014
LAHAR
किसी के लिये ये महज़ इक खबर है
किसी के दिलों पर ये टूटा कहर है
जो निकले हो घर से तो रहना सलामत
यहां हर शहर हादसों का शहर है
ज़िन्दगी ग़म की कहानी हो गई
काल कलवित फिर जवानी हो गई
क्या कहर ढाती हुई आई लहर वो
हर ख़ुशी दो पल में फानी हो गई
ये खता थी, हादसा था या कोताही
जाने किसकी मेहरबानी हो गई
ये दुःखद है , हादसे की जांच होगी
फिर से सरकारी बयानी हो गई
क्या महज़ इंसान की अब ज़िन्दगी
चंद सिक्कों की निशानी हो गई
कातिलों पर कब करोगे फैसले
जिनसे ये बस्ती वीरानी हो गई
Sunil_Telang/09/06/2014
Friday, June 6, 2014
KHUSHI
ख़ुशी
है ख़ुशी की चाह तो अपने ग़मों से प्यार कर
ज़िन्दगी हँस के जियो बैठो न मन को मार कर
कौन है जिसका कभी दुःख से हुआ ना सामना
बैठता कोई नहीं इन्सान हिम्मत हार कर
हर किसी की अहमियत है सबकी अपनी खूबियां
तू किसी से कम नहीं है बात ये स्वीकार कर
मंज़िलें उनको मिलीं जिसने चुनी अपनी डगर
रोज़ मिलता हो सबक तो ग़लतियाँ सौ बार कर
वो कभी इन्सां थे जो हिन्दू मुसलमां हो गये
तू मोहब्बत प्यार से सारा चमन गुलज़ार कर
Sunil_Telang/06/06/2014
FARIYAAD
फ़रियाद
ज़िक्र मत ईमानदारी का करो
हैं ये बातें सिर्फ कहने के लिये
ताज तुमको दे दिया खुशियां मनाओ
हम यहां हैं दर्द सहने के लिये
नाम हो तेरा ज़मीं से आसमां तक
और क्या दें हम दुआओं के सिवा
हम तो जीते लब पे बस फ़रियाद लेके
अश्क़ आँखों में हैं बहने के लिये
हो रही है शर्मसार इन्सानियत
नारियों की लाज़ लुटती देखकर
मां, बहन, बेटी से है अस्तित्व तेरा
रह गया क्या और कहने के लिये
ये धरम, ये जात, ये नफरत की बातें
दे सकेंगी कब तलक दिल को सुकूं
हमको बस इतनी फिकर, दो वक्त रोटी
और घर मिल जाये रहने के लिये
Sunil_Telang/06/06/2014
Wednesday, June 4, 2014
MAATAM
मातम
सिर्फ दो दिन का है मातम फिर किसी को ग़म नहीं
हादसों को रोकने में तंत्र ये सक्षम नहीं
वक़्त सबका कीमती है फ़िक्र किसको जान की
कुछ ग़लत हो जाये तो समझें नियति भगवान की
हैं नियम क़ानून , पर रहता कोई कायम नहीं
लूट भ्रष्टाचार के दम पर टिका है ये जहां
जेब तेरी हो भरी तो कुछ नहीं मुश्किल यहां
झूठ को सच में बदलवाने में कोई कम नहीं
दोष किसको दे रहे हैं तंत्र ये हमसे बना
जो फसल बोई है हमने बस वही है काटना
ज़ख्म सबके पास हैं देता कोई मरहम नहीं
Sunil_Telang/04/06/2014
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