ज़रा पहचान
कहो ना बात तुम सच्ची कहेंगे लोग दीवाना
यहाँ लोगों ने पैसे को ही बस अपना खुदा माना
परेशानी में हैं दिन रात फिर भी जी रहे हैं लोग
अभी सीखा नहीं बदलाव की हिम्मत जुटा पाना
हमेशा दोष किस्मत को दिये जाने से क्या होगा
नहीं मिलता किसी को घर में बैठे आब ओ दाना
करोगे कब तलक फ़रियाद यूँ ही गिड़गिड़ाते तुम
ग़ुलामी से तो अच्छा है कटा के सर चले जाना
ज़रा पहचान ले खुद को नहीं तेरा कोई सानी
तेरे हाथों में कायम है तेरी दुनिया संवर जाना
Sunil_Telang/30/03/2014