जय बाबा दौलतानंद की
बाबाओं के फेर में , जग सारा बौराय
अब बाबा खुद फंस रहे ,करिए कौन उपाय ।
कभी तो जनता पैर पड़,सर इनको बैठाय
और कभी पाला बदल,खूब इन्हें लतियाय ।
कह "सुनील" कविराय ,एक तरकीब सुझाय
जन हित में,जब्ती करो , इनकी काली आय ।
हमारे देश मैं साधू संतों को भगवान् के बराबर समझा जाता है।आज के युग में जनता अनेक कष्टों से ग्रसित है ।इसका फायेदा अनेकों बाबा देश के अनेकों हिस्सों में उठा रहे हैं । ताजा खबर के अनुसार जनता को गुमराह करने के आरोप झेल रहे निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल
बाबा की अकूत संपत्ति से अब पर्दा उठने लगा है। बताया जा रहा है कि निर्मल
बाबा ने समागम में भाग लेने वाले भक्तों से 'निबंधन' शुल्क और 'दसबंद' के
नाम पर करोड़ों की दौलत इकट्ठा की है।ऐसे लोगों के लिए बस इतना ही कहा जा सकता है -"चमत्कार को नमस्कार" ।
skt/13/04/2012
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