फुर्सत
दो घडी फुर्सत नहीं है अब किसी को
क्या बना बैठे हैं अपनी ज़िन्दगी को
है बहुत कुछ पास अपने फिर भी कम है
जाने क्या क्या चाहिये इस आदमी को
आधुनिकता का असर कैसा हुआ है
भूल बैठे लोग अपनी सर ज़मीं को
बेवजह भी लोग चलते जा रहे हैं
होड़ है आगे निकलने की सभी को
भूल कर रब को उड़ो ना आसमां में
वक़्त आईना दिखाता हर किसी को
Sunil_Telang/25/02/2014
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