गिला किस्मत से ना कर हर किसी के दिन बदलते हैं
मिला तो है बहुत तुझको मगर लगता है क्यों थोड़ा
यहाँ कुछ लोग भूखे पेट, नंगे तन भी पलते हैं
कठिन संघर्ष का का रस्ता नहीं आता नज़र फिर भी
किसी की देखकर खुशियां सदा क्यों लोग जलते हैं
संभल जाना यहाँ तेरे सिवा कोई नहीं तेरा
यहाँ हमदर्द बन कर तेरे अपने लोग छलते हैं
Sunil_Telang/11/02/2014
संभल जाना यहाँ तेरे सिवा कोई नहीं तेरा
यहाँ हमदर्द बन कर तेरे अपने लोग छलते हैं
Sunil_Telang/11/02/2014
No comments:
Post a Comment