PUNARJEEWAN
पुनर्जीवन
न जाने थी खता किसकी, जो ले गई, छीन के बचपन
बदहवासी का आलम है , मचा है हर तरफ क्रंदन
अभी तफ्तीश जारी है, करो ना शोर गुल इतना
अभी सरकार खुद अपना बचाने में लगी दामन
ग़रीबों के लिये तो ज़िन्दगी है मौत से बदतर
ये साज़िश हो या दुर्घटना, मिलेगा ना पुनर्जीवन
Sunil_Telang/18/07/2013
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