EK CHHAT
दल बदलते बदलते दिल भी बदलते जा रहे हैं
देश की जनता को हंसकर लोग छलते जा रहे हैं
अब ना कोई नीति है ना अब कोई आदर्श है
सिर्फ सत्ता की चमक में मन पिघलते जा रहे हैं
कल के दुश्मन आज बांहों में लिये हैं बांह को
रास्ते तो हैं अलग पर साथ चलते जा रहे हैं
राजनीति में न कोई दुश्मनी ना दोस्ती
एक छत के साये में सब लोग पलते जा रहे हैं
जो ना समझे उनको जनता एक दिन समझायेगी
याद रक्खो लोग अब घर से निकलते जा रहे हैं
Sunil_Telang/12/7/2013
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