Tuesday, July 30, 2013

DOHE



दोहे 

समझ सको  तो  है यही  इस जीवन का सार 
प्रेम भाव  से   जो  मिले  कर  लेना  स्वीकार 

मिल जाये ये सल्तनत, ख्वाहिश का  ना अंत 
दो  कपड़ों  में  भी  प्रसन्न  देखे  कितने  संत 

तेरा   मेरा  रोज़   कर  जीवन  दिया  बिताय

जो तुझ पर अर्पण करे जनम सफल हो जाय  

धन- दौलत, ऊंचे महल, सुख  के  ना  पर्याय 
चंचल मन  की  शान्ति जीवन में सुख  लाय

अपनी अपनी सोच है , अपना  अपना  राग
करो  भलाई  दीन   की  खुल  जायेंगे  भाग       

Sunil_Telang/30/07/2013
           







No comments:

Post a Comment