Sunday, August 31, 2014

FAASLA


फासला

मिला वो ख्वाब में, लेकिन खफा सा, कुछ जुदा सा था 
वो  मेरे   पास  बैठा  था   मगर  कुछ  फासला  सा  था 

निगाहों   में   थी   बेचैनी,  अज़ब   एहसास   था  कोई 
वो  मेरा   हो   के  भी   मेरे   लिये  ना-आशना  सा  था 

खुली  जो  आँख तो  था फिर  वही तन्हाई  का  आलम 
गिला शिकवा भी था लब पे, मगर दिल शादमां सा था 

खुदा   का   शुक्रिया   दिलवर  तेरा   चेहरा नज़र आया  
मरीजे - इश्क़   को   दीदार   तेरा   इक   दवा   सा   था 

(ना-आशना - Unknown ,  शादमां -Glad )

Sunil _Telang /31/08/2014























Friday, August 29, 2014

SABAR



सबर

परेशानी  तो  है  लेकिन  जुबां से  कुछ  नहीं कहते 
गुज़र जाती है सारी उम्र  बस  ज़ुल्मो सितम सहते 

बड़ी उम्मीद से   तकते हैं   शायद  इक करिश्मा हो 
मगर रह जाते हैं  ख़्वाबों को  अक्सर  देखते  ढहते 

समझ में कुछ नहीं आता हुआ क्या हुक्मरानों को
अहम मुद्दों  पे  भी  ये मूक  दर्शक  क्यों  बने  रहते 

नहीं वादों की कोई अहमियत,  है फिर वही किस्सा  
गरीबों   की   दो  आँखों   से  रहेंगे  अश्क़  ही  बहते 

धरम और जाति के झगड़ों में हमको झोंकने वालो 
सबर का इम्तिहां ना लो  संभल जाओ समय रहते 

Sunil_Telang/29/08/2014








Monday, August 25, 2014

HUNAR


हुनर


तुमको थी शायद ज़माने की फिकर
इसलिये तुम चल दिये मुंह फेरकर
तुमने  ये  सोचा  नहीं  कोई यहाँ
जी रहा  है  सिर्फ तुमको देख कर

दूसरों  को  लोग  क्यों इल्जाम दें
बेबसी   को   बेवफाई   नाम  दें
ये मोहब्बत ज़िन्दगी  है या  क़ज़ा
जीते जी  समझा नहीं  कोई  बशर

यूँ ही सदियों से चला ये सिलसिला
है ख़ुशी कम,बस ग़मों का काफिला  
जाने किसको क्या मज़ा इसमें मिला
कुछ नहीं होता  नसीहत का असर 

मिल ना पाते हैं नदी के दो किनारे
जायें तो जायें कहाँ उल्फत के मारे
ज़िन्दगी हँसकर कोई रो कर गुज़ारे
अपना अपना  शौक है अपना हुनर

Sunil_Telang/25/08/2014






Tuesday, August 19, 2014

PRERNA KE SHROT



प्रेरणा  के  स्रोत

दर्द   अपने    ही    हमारा   जानते   हैं 
लोग क्यों हमको निकम्मा मानते  हैं 

हो   शहर  या  गाँव   या  दुश्वार  रस्ते 
जंगलों  की  ख़ाक  भी  हम छानते  हैं 

जुर्म  का  हो अंत और धन की सुरक्षा 
प्राथमिक  कर्तव्य  अपना  मानते  हैं 

गर्व    का   एहसास   है   वर्दी   हमारी 
हम   दीवाने   कद्र   इसकी  जानते  हैं

जान जोखिम में रहे  पर ना रुकें  हम  
लक्ष्य   वो   पूरे   करें   जो   ठानते  हैं 

है नमन करबद्ध उन अधिकारियों को 
प्रेरणा  के  स्रोत  जिनको   मानते  हैं 

Sunil _Telang /19/08/2014










Sunday, August 17, 2014

ZASHN-E-AAZAADI



जश्ने आज़ादी 

बहुत खुश हो लिये हम सब, मना  के जश्ने आज़ादी 
मगर उनकी भी कुछ सुन लें बने  बैठे जो  फरियादी 

कहें कैसे  कि  हैं आज़ाद  हम, है  भुखमरी  जब तक 
बहन और बेटियां साये  में डर के जी  रही  जब  तक
सड़क  पर  काटती  है  रात  जब  तक आधी आबादी 

हुये बरसों, ना  रुक पाया है  शोषण आम जनता का 
बिना  रिश्वत  दिये  होता  नहीं  है  काम  जनता का 
चलन   है   लूट   भ्रष्टाचार  का  सब  हो  गये  आदी 

महज़  बातों   से   लोगों   ने  नई  उम्मीद  दिखलाई 
मगर नीयत किसी की साफ़ अब तक ना नज़र आई 
वतन   बर्बाद  कर  डाला  पहन   कर  टोपियां  खादी 

रहेंगे  लोग  ना  खामोश  अब  फितरत  बदल  डालो 
संभल जाओ, सुधर जाओ,सबर का इम्तिहाँ  ना लो  
कहीं  ना   देश   का  हर   नौजवां  हो  जाये  उन्मादी 

Sunil_Telang//17/08/2014


Friday, August 15, 2014

KAAYNAAT



कायनात

जश्न-ए-आज़ादी  मनाने  की  नई शुरुआत हो 
कुछ नया संकल्प लें हम सब, तो कोई बात हो 

तोड़   डालें  जाति  धर्मों   से   बनी  ज़ंजीर  को 
एकता   ना   टूट   पाये   चाहे   जो  हालात  हो 

वक़्त  है   फिरका-परस्तों  को  दिखायें  रास्ता 
रंजिशें  सब भूल  जायें  जब  कभी आपात  हो 

दीन दुखियों की खबर लें, दर्प अपना  भूल कर 
देश हित के काम में अब एक दिन और रात हो 

हो सही  नीयत तो कोई काम नामुमकिन नहीं 
काम  कुछ  ऐसा  करें क़दमों  में कायनात  हो 

Sunil _Telang/15/08/2014




Wednesday, August 13, 2014

MUSAAFIR



मुसाफिर

जान जोखिम में लिये चलते मुसाफिर
खौफ के साये  तले  पलते  मुसाफिर

उम्र बीती, राज बदले, पर  ना  बदले
भेड़  बकरी  की तरह पलते मुसाफिर  

सर्द  रातों  की  सिहर  महसूस करते
गर्म लपटों  में कभी  जलते मुसाफिर

कुछ  नये  बदलाव की उम्मीद लेकर
रोज़  अपने आप  को छलते मुसाफिर

रोज़मर्रा  की कमाई  का  ही  जरिया 
हो  गये  बस फूलते फलते  मुसाफिर 

जान की परवाह क्या आम आदमी की  
अपने  हाथों  को  रहे मलते मुसाफिर 

Sunil_Telang/13/08/2014




Tuesday, August 12, 2014

BADHAAI



BADHAAI

लबों  पर  मुस्कराहट   ही   सदा  कायम  रहे 
सदा  खुशियाँ  मिलें तुमको  न कोई ग़म रहे 
जनमदिन हो  मुबारक  दे रहे दिल से  बधाई 
रहेगी   याद   बाकी    तुम   रहे   ना   हम  रहे 

Sunil_Telang/12/08/2014

Saturday, August 9, 2014

RAAKHI


राखी 

नहीं समझो  इसे  धागा, ये बंधन तो जनम का है 
लुटाओ प्यार बहनों पर, नहीं ये वक़्त  ग़म  का है 
बदल डालें नीयत अपनी ,मिले सम्मान नारी  को 
रखें हम लाज राखी की, तकाजा इस कसम का है 

Sunil_Telang/09/08/2014