रहनुमाई
तू अपने ग़म से ना घबरा
ज़माने में बहुत ग़म हैं
जियो ये ज़िन्दगी हँसते
यहां खुशियाँ ज़रा कम हैं
मुसीबत में जो काम आये
वही है बस तेरा अपना
किसी की चाह मे फ़िर क्यों
अभी आँखें तेरी नम हैँ
ये ताजो-तख़्त, ये दौलत
किसी के काम ना आयी
तेरे दो मीठे बोलों मे
सभी ज़ख्मों के मरहम हैं
नहीं जिसका कोई उस पर
खुदा की रहनुमाई है
उसी के नूर से दुनिया में
ये दिन रात कायम हैं
Sunil_Telang/13/05/2014
No comments:
Post a Comment