Tuesday, May 13, 2014

REHNUMAAI



रहनुमाई

तू अपने ग़म से  ना  घबरा 
ज़माने   में   बहुत  ग़म  हैं 
जियो  ये   ज़िन्दगी  हँसते  
यहां  खुशियाँ  ज़रा  कम हैं 

मुसीबत में  जो  काम आये 

वही  है   बस   तेरा  अपना 
किसी की चाह मे फ़िर क्यों 
अभी  आँखें   तेरी   नम  हैँ 

ये   ताजो-तख़्त,  ये दौलत

किसी  के  काम  ना  आयी 
तेरे   दो   मीठे    बोलों   मे 
सभी  ज़ख्मों के  मरहम  हैं 

नहीं  जिसका कोई उस पर 

खुदा    की    रहनुमाई    है  
उसी  के  नूर  से  दुनिया में 
ये   दिन   रात  कायम   हैं 

Sunil_Telang/13/05/2014

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