Tuesday, May 27, 2014

HUNAR


हुनर

मुबारक हो तुम्हें ऊंचे महल हमको तो  घर दे दो 
जहाँ  इंसान  को  इंसान समझें,  वो  शहर  दे  दो 

रहे अब ना कोई भूखा, बदन ढंक जाये कपड़ों से 
चलें जिस राह  पर निर्भय कोई ऐसी डगर  दे दो

सुना है कह  रहे  हैं लोग  अच्छे  दिन  भी आयेंगे 
हकीकत  बन  सके, तरक़ीब कोई  कारगर  दे दो 

कटेगी ज़िन्दगी हँसते, रखे जिस हाल में  भी  तू 
ग़मों  में  मुस्कुराते  रहने  का  कोई  हुनर  दे  दो 

Sunil_Telang/27/05/2014



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