दीवानगी
गुज़रते जा रहे हैं दिन, नहीं उनकी खबर कोई
मेरी कम-ख्वाब रातों का , नहीं उन पर असर कोई
कहां पर छुप गए हो तुम, हुआ दीदार भी मुश्किल
नहीं छोड़ा , तेरी खातिर , गली, कूचा, शहर कोई
जतन कितने किये बेचैन दिल को चैन ना आया
मऱीज़े - इश्क़ को मिलता नहीं है चारागर कोई
सुना है जी रहे हो आज भी तन्हाइयों में तुम
परेशां तुमको भी करता है शायद रात भर कोई
हज़ारों बंदिशें हैं फिर भी है दीवानगी बाक़ी
ज़माने के चलन कैसे निभाये उम्र भर कोई
(कम-ख्वाब -Sleepless, चारागर-Doctor)
Sunil_Telang/30/05/2014
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