शोहरत
तिलमिलाहट बौखलाहट अब नज़र आने लगी
आप की मौज़ूदगी अब रंग दिखलाने लगी
उड़ गई मुस्कान लब से राज़ सारे खुल गये
रोज़ झूठे मामलों पर बहस गरमाने लगी
भाईचारा आपसी कुछ इस कदर कायम हुआ
एक सुर में गीत हर इक पार्टी गाने लगी
आड़ लेकर दुष्प्रचारों की गिला करने लगे
जब लगा सत्ता ये उनके हाथ से जाने लगी
मूल मुद्दे भूल कर जब तिकड़में चलने लगी
आप ताक़त और शोहरत दिन ब दिन पाने लगी
Sunil_Telang/21/11/2013

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