सबक
अभी थक कर ना यूँ बैठो
बहुत कुछ काम करना है
ना आये जब तलक मंज़िल
नहीं आराम करना है
अगर गिरते हो उठ जाना
लगे ठोकर संभल जाना
रुकेंगे अब ना ये एलान
खुल्ले -आम करना है
बढ़ो आगे सबक सिखला दो
अब फिरका-परस्तों को
जिन्हें मतलब की खातिर
ये वतन नीलाम करना है
डगर सच्चाई नेकी की
कभी आसां नहीं होती
नये रस्ते बनाने में
ये सुबहो शाम करना है
Sunil _Telang/26/11/2013

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