क्यों कि
माँ से है अस्तित्व तेरा इस जहां में
माँ से बढ़कर कौन धरती आसमां में
जिसके सर पर आज भी है माँ का साया
खुशनसीब इंसान है वो इस जहां में
याद कर बचपन के वो दिन
हर खता तेरी वो लेती अपने सर
जागती थी तेरी खातिर रात भर
गोद में अपनी वो रख के तेरा सर
क्योंकि तेरी माँ थी वो
आज उसकी उम्र जब ढलने लगी है
तेरे घर पर अब तेरी चलने लगी है
तेरी औलादें भी जब पलने लगी हैं
उसकी अब मौजूदगी खलने लगी है
फिर भी तेरी मां है वो
हैसियत उसकी हुई सामां की तरह
उसकी घर में अब नहीं है कोई जगह
रोज़ होती चार बातें बेवजह की
फिर भी वो चाहेगी तुझसे हो सुलह
क्योंकि तेरी माँ है वो
है कहाँ भगवान या रब का ठिकाना
आज तक अब तक कोई भी ये ना जाना
पर ये सच है माँ के क़दमों में है जन्नत
उसके लब पर बस दुआओं का खजाना
क्यों कि तेरी माँ है वो
Sunil _Telang

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