चौथा स्तम्भ
रोज़ पढ़कर सुर्खियाँ अखबार की
लोग करते किरकिरी सरकार की
हादसे हैं, लूट अत्याचार है
है ज़रूरी इक खबर व्यभिचार की
झूठ का व्यापार है, सच्चाई ग़ुम
रीत ये कब से हुई संसार की
ज़िक्र ना उनका कभी होगा यहाँ
बात जो अपनी करें अधिकार की
कैसा है स्तम्भ चौथा मीडिया
करता रहता है बहस बेकार की
Sunil_Telang/20/05/2013

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