हे मन मोहन
बदल गया है ज़माने का चलन
किस मुंह से गायें हम जन गण मन
भावना देश प्रेम की ना रही
घर में मेहमां बन के बैठे दुश्मन
नाते रिश्ते भी सब बोझ बने
दूर हुये अपने अपनों के कारन
भाग दौड़ जारी है चारों तरफ
इज्ज़त की बात हुआ काला धन
हम भी चुपचाप देखते है बस
कुछ तो बोलो जुबां से हे मन मोहन
Sunil_Telang
हम भी चुपचाप देखते है बस
कुछ तो बोलो जुबां से हे मन मोहन
Sunil_Telang

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