Friday, June 8, 2018

SIKANDAR



SIKANDAR

रौशनी  में  छुप   गया   शायद  अँधेरा 
हाल  अच्छा है,  नज़र  का  है  ये फेरा 

किसको फुर्सत  दूसरों का  दर्द समझे 

सिर्फ  मैं  ने  कर लिया दिल  में बसेरा

बढ़  रही  असमानता  की  रोज़  खाई 

जो  हमारा था,  हुआ   अब  तेरा  मेरा 

पेट  की खातिर  लुटा  दे जान अपनी 

पेट   की   खातिर  बने   इन्सां  लुटेरा 

वक़्त से बढ़  कर नहीं कोई  सिकन्दर 

रात     बीतेगी    कभी    होगा   सवेरा 

Sunil_Telang/06/06/2018






No comments:

Post a Comment