हुनर
मुबारक हो तुम्हें ऊंचे महल हमको तो घर दे दो
जहाँ इंसान को इंसान समझें, वो शहर दे दो
रहे अब ना कोई भूखा, बदन ढंक जाये कपड़ों से
चलें जिस राह पर निर्भय कोई ऐसी डगर दे दो
सुना है कह रहे हैं लोग अच्छे दिन भी आयेंगे
हकीकत बन सके, तरक़ीब कोई कारगर दे दो
कटेगी ज़िन्दगी हँसते, रखे जिस हाल में भी तू
ग़मों में मुस्कुराते रहने का कोई हुनर दे दो
Sunil_Telang/27/05/2014

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