ज्ञान अज्ञान
कौन शिक्षित है यहां और कौन अज्ञानी यहां
छोड़िये पहले भी हैं कितनी परेशानी यहां
क्या मिलेगा इस बहस से सोचकर तो देखिये
बुद्धिजीवी कर रहे हैं कितनी नादानी यहां
हो अगर नीयत सही तो है दवा हर मर्ज़ की
क्या ग़लत साबित नहीं पहले हुये ज्ञानी यहां
दाग तो दामन में तेरे भी यहां कुछ कम नहीं
फिर भी अपनी सूरतें तूने ना पहचानी यहां
इस कदर इतराइये ना वक़्त का ये फेर है
चार दिन की ज़िन्दगी है हर खुशी फानी यहां
Sunil_Telang/29/05/2014

No comments:
Post a Comment