स्वराज
बहुत होंगे तेरे हमदर्द फिर भी तुझको रोना है
तुझे ये ज़िन्दगी का बोझ अपने आप ढोना है
ये दुनिया पैसे वालों की, तेरी पहचान ही क्या है
तेरा अस्तित्व सत्ता के लिये बस इक खिलौना है
ज़मीं तेरी, वतन तेरा, तेरा ही राज है कायम
मगर अपने ही हक का फिर तुझे मोहताज़ होना है
बहुत कुछ सह लिया, मिलकर लड़ें हक की लड़ाई अब
मिले "स्वराज" ना जब तक, नहीं दिन रात सोना है
Sunil-Telang/16/09/2013

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