जज़्बात
चल, मोहब्बत से ज़रूरी और भी कुछ काम हैं
इश्क में मरने से अच्छा देश की खातिर मरें
है बहुत उम्मीद पर हमने अभी तक क्या दिया
एक दिन खुद से ये सवालात भी पूछा करें
ना चलेंगे साथ ना बढ़ने दें कोई काफिला
बैठ के हर शाम सुबहा बस गिला शिकवा करें
और तो कुछ काम हमको ना नज़र आया कभी
आग लगने पर तमाशा रोज़ बस देखा करें
सोच ये अपनी पुरानी कुछ न बदलेगी यहाँ
कुछ नये जज़्बात अपने दिल में अब पैदा करें
Sunil_Telang/10/09/2013

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