KUNDAN
अभी तो है आग़ाज़ मंजिल नहीं है
अभी तो बहुत दूर हमको है चलना
अभी जश्न का कोई अवसर नहीं है
है पहले समूची व्यवस्था बदलना
ये ईमान और सब्र का इम्तिहाँ है
किसी मोड़ पर ये कदम रुक ना जायें
ये कैसी लहर जागरूकता की फैली
तुझे आ गया अपने घर से निकलना
ज़रा लोभ लालच से नज़रें हटाओ
ये मुद्दे धरम-जात के भूल जाओ
नहीं ऐसा अवसर दोबारा मिलेगा
तुझे कोई पछतावा रह जाए कल ना
ये आम आदमी तेरे हक की लड़ाई
कवायद तेरी कैसी रंगत ले आई
कभी तेरी कुंदन सी पहचान होगी
ज़रा सीख ले धूप में पहले जलना
Sunil_Telang/27/09/2013

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