अवसाद
हो रहे हैं हादसे पर हादसे
हो रहे हैं हादसे पर हादसे
कोई तो हो जो लगाम इन पर कसे
छोड़ रक्खे है यहाँ विषधर खुले
रह सकेंगे कब तलक ये बिन डसे
जीते जी इस जान की कीमत नहीं
मर के कुछ मिल जायेगा सरकार से
देश है अपना बड़ा, क्यों ग़म करें
और देशों में भी होते हादसे
कार्यवाही फिर से अब होगी कड़ी
लो उबर भी जाइये अवसाद से
तंत्र में शायद रही कुछ खामियां
दूर रहिये आप इस उन्माद से
देखते रहिये प्रगति विज्ञान की
क्या यही पाया नई ईजाद से
Sunil_Telang/22/02/2013

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