PAUDHA
चलो आज हम एक पौधा लगायें
सभी मिल के अपनी प्रकृति को बचायें
किया कैसा खिलवाड़ अपनी धरा से
बरसने लगी आग क्यों आसमां से
ये ऐसी प्रगति लोग लाये कहाँ से
कहाँ खो गईं नभ में शीतल हवायें
नदी नाले सूखे, सड़क तर बतर है
घडी भर की बरसात का ये कहर है
कि टापू बना आज क्यों हर शहर है
जो बाहर फंसे लोग घर कैसे जायें
प्रदूषण से सबका हुआ जीना मुश्किल
रही ना हवा सांस लेने के काबिल
ये शहरीकरण से हुआ क्या है हासिल
कि अब शोर में डूबी चारों दिशायें
तरसते हैं छाँव की खातिर मुसाफिर
कि गर्मी से राहत मिले कैसे आखिर
करें काम कोई भलाई की खातिर
अधिक से अधिक पेड़ अब हम लगायें
चलो आज हम एक पौधा लगायें
सभी मिल के अपनी प्रकृति को बचायें
Sunil_Telang/13/07/2018
तरसते हैं छाँव की खातिर मुसाफिर
कि गर्मी से राहत मिले कैसे आखिर
करें काम कोई भलाई की खातिर
अधिक से अधिक पेड़ अब हम लगायें
चलो आज हम एक पौधा लगायें
सभी मिल के अपनी प्रकृति को बचायें
Sunil_Telang/13/07/2018
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